गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009

नूर मियां

                                                                   नूर मियां 
आज तो चाहे कोई विक्टोरिया छाप काजल लगाये
या साध्वी ऋतंभरा छाप अंजन
लेकिन असली गाय के घी का सुरमा
तो नूर मियां ही बनाते थे
कम से कम मेरी दादी का तो यही मानना था

नूर मियां जब भी आते
मेरी दादी सुरमा जरूर खरीदती
एक सींक सुरमा आँखों मे डालो
आँखें बादल की तरह भर्रा जाएँ
गंगा जमुना कि तरह लहरा जाएँ
सागर हो जाएँ बुढिया कि आँखें
जिनमे कि हम बच्चे झांके
तो पूरा का पूरा दिखें

बड़ी दुआएं देती थी मेरी दादी नूर मियां को
और उनके सुरमे को
कहती थी कि
नूर मियां के सुरमे कि बदौलत ही तो
बुढौती में बितौनी बनी घूम रही हूँ
सुई मे डोरा दाल लेती हूँ
और मेरा जी कहे कि कहूँ
कि ओ री बुढिया
तू तो है सुकन्या
और तेरा नूर मियां है च्यवन ऋषि
नूर मियां का सुरमा
तेरी आँखों का च्यवनप्राश है
तेरी आँखें , आँखें नहीं दीदा हैं
नूर मियां का सुरमा सिन्नी है मलीदा है

और वही नूर मियां पाकिस्तान चले गए
क्यूं चले गए पाकिस्तान नूर मियां
कहते हैं कि नूर मियां का कोई था नहीं
तब , तब क्या हम कोई नहीं होते थे नूर मियां के ?
नूर मियां क्यूं चले गए पकिस्तान ?
बिना हमको बताये
बिना हमारी दादी को बताये
नूर मियां क्यूं चले गए पकिस्तान?

अब न वो आँखें रहीं और न वो सुरमे
मेरी दादी जिस घाट से आयी थी
उसी घाट गई
नदी पार से ब्याह कर आई थी मेरी दादी
और नदी पार ही चली गई
जब मैं उनकी राखी को नदी में फेंक रहा था
तो लगा कि ये नदी, नदी नहीं मेरी दादी कि आँखें हैं
और ये राखी, राखी नहीं
नूर मियां का सुरमा है
जो मेरी दादी कि आँखों मे पड़ रहा है
इस तरह मैंने अंतिम बार
अपनी दादी की आँखों में
नूर मियां का सुरमा लगाया.

7 टिप्‍पणियां:

seema ने कहा…

nil such a gud work.......vidhrohi ji kisi parichay k mohtaj nahi hai. lekin unki kavitay jo hum jaise logo ko nahi mil paati...un tak isse pohchane k liye dhanyawad.

Unknown ने कहा…

PEHLI BAAR VIDHROHI JI KI KAVITA PHADI HAI.MERI ADNA SI KALAM IS UCCH STER KE KALAM PER KYA LIKHUN

सतीश पंचम ने कहा…

आज विद्रोही जी की कई कवितायें पढ़ा। बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद इन कविताओं से परिचित करने के लिये।

Shyam Bihari Shyamal ने कहा…

हृदय-मन पर मुद्रि‍त हो गई यह कविता.. जीवंत रचना। कवि को बधाई और आपका आभार..

विवेक विद्रोही ने कहा…

उनकी समृति और संघर्ष को नमन्

Pankaj ने कहा…

Ye gupshup daadi ke lye hai ya noor miya ke liye ya khud ke liye shayd kvi ji bata paate tbhi khud likha khud padha

Pankaj ने कहा…

Ye gupshup daadi ke lye hai ya noor miya ke liye ya khud ke liye shayd kvi ji bata paate tbhi khud likha khud padha