मैं किसान हूँ आसमान में धान बो रहा हूँ कुछ लोग कह रहे हैं कि पगले! आसमान में धान नहीं जमा करता मैं कहता हूँ गेगले गोगले पगले ! अगर ज़मीन पर भगवान जम सकता है तो आसमान में धान भी जम सकता है और अब तो दोनों में से कोई एक होकर रहेगा या तो ज़मीन से भगवान उखड़ेगा या आसमान में धान जमेगा। ------------- विद्रोही |
नाम- रमाशंकर यादव "विद्रोही" पूछ्ने पर कहते हैं कि "मैं तो नाम से ही विद्रोही हूँ. 'रमा' को तो विष्णु के साथ जाना था. यहाँ शंकर के साथ हैं." उनकी कविताएँ लफ्फाजी नहीं हैं बल्कि ज़मीनी हकीकत को साहस के साथ बेपर्दा करती हैं. .इस ब्लॉग पर आपको विद्रोही जी की कई कवितायेँ और उनके जीवन से जुडी कुछ बाते भी पढने को मिलेंगी..आप सब के सुझावों का स्वागत् है.
सोमवार, 16 जून 2008
नई खेती
रविवार, 15 जून 2008
मछली का दुःख मछली जाने
मछली का दुःख मछली जाने लड़की का दुःख लड़की जाने मछली का दुःख क्या मल्लाह जानेगा लड़की का दुःख क्या अल्लाह जानेगा? |
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