नाम- रमाशंकर यादव "विद्रोही"
पूछ्ने पर कहते हैं कि "मैं तो नाम से ही विद्रोही हूँ. 'रमा' को तो विष्णु के साथ जाना था. यहाँ शंकर के साथ हैं."
उनकी कविताएँ लफ्फाजी नहीं हैं बल्कि ज़मीनी हकीकत को साहस के साथ बेपर्दा करती हैं.
.इस ब्लॉग पर आपको विद्रोही जी की कई कवितायेँ और उनके जीवन से जुडी कुछ बाते भी पढने को मिलेंगी..आप सब के सुझावों का स्वागत् है.