नाम- रमाशंकर यादव "विद्रोही"
पूछ्ने पर कहते हैं कि "मैं तो नाम से ही विद्रोही हूँ. 'रमा' को तो विष्णु के साथ जाना था. यहाँ शंकर के साथ हैं."
उनकी कविताएँ लफ्फाजी नहीं हैं बल्कि ज़मीनी हकीकत को साहस के साथ बेपर्दा करती हैं.
.इस ब्लॉग पर आपको विद्रोही जी की कई कवितायेँ और उनके जीवन से जुडी कुछ बाते भी पढने को मिलेंगी..आप सब के सुझावों का स्वागत् है.
शुक्रवार, 21 सितंबर 2012
विद्रोही जी की किताब
"आपकी गलती भी क्या है , मेरा भी तो काम है,
सच को कहने के लिए शायर सदा बदनाम है "
ये है विद्रोही जी का कविता संग्रह। आप प्रकाशक से संपर्क कर के खरीद सकते हैं।
3 टिप्पणियां:
अपना संपर्क नंबर दीजिएगा।
गुरप्रीत सिंह
9252829634
Hello ji muja vidrohi ji ki book lane ha app mare help kare
book purchase kaise kar sakte hain. please tell me
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