रविवार, 15 जून 2008

मछली का दुःख मछली जाने

मछली का दुःख मछली जाने
लड़की का दुःख लड़की जाने

मछली का दुःख क्या मल्लाह जानेगा
लड़की का दुःख क्या अल्लाह जानेगा?

6 टिप्‍पणियां:

MRITUNJAY ने कहा…

shi bole hai

संध्या नवोदिता ने कहा…

विद्रोही जी को आप यहाँ तक ला पाए ,ये बहुत बड़ा काम किया है ... उनकी कवितायें अँधेरे में रौशनी जैसी हैं .

arun dev ने कहा…

विद्रोही को हम सुनते आ रहे हैं.आज उनकी कविताएँ पढ़ने को मिलीं.विद्रोही मोहभंग और विषाद के कवि हैं,पर जीवन और जगत से उनका लगाव चकित करता है.एक खरा आदमी विद्रोही होता है.
बहरहाल आपने यह अच्छा कार्य किया है.

baby kumari ने कहा…

ldki ka dukh allah kya janega? bahut achha.

बेनामी ने कहा…

arundev ji ne yah sahi kaha ki vidrohi mohbhng aur visad ke kavi hain.lekin jab tak jeevan aur jagat se lagav nahi hoga tab tak mohbhang aur visad kaisa?

NILAMBUJ ने कहा…

benaami janon se anurodh hai ki naam ke saath saamne aayen.